just now
जो साथ चले थे जाने कब अपनी-अपनी राह कहा निकल गए। जाने कहां-कहां रोशनी की तलाश में भटकने के बाद अब समझ में आ रहा है कि रोशनी कहीं और से नहीं, इन्हीं शब्दों से आ रही है।
hi
09/10/2020 02:41:24
NITISH KUMAR
arts
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